और उस टाइम पड़ोसी के फ़ोन पर अपना कब्ज़ा होता था। और उस टाइम पड़ोसी के फ़ोन पर अपना कब्ज़ा होता था।
पर अपनों साथ ये मुश्किल वक्त भी आसान लगता है। पर अपनों साथ ये मुश्किल वक्त भी आसान लगता है।
रौशनी धीरे धीरे सिमटने लगती है शाम जब भी ढलती है। रौशनी धीरे धीरे सिमटने लगती है शाम जब भी ढलती है।
सबके लिए एक ही लाइन में लिख रहे हैं ! सबके लिए एक ही लाइन में लिख रहे हैं !
पत्नी कर जो हलाल,फिर भी घर में रहना फिलहाल कहे रहे मोदी ताऊ! पत्नी कर जो हलाल,फिर भी घर में रहना फिलहाल कहे रहे मोदी ताऊ!
अब भगवान ने बस अभी हमारी सुन ली. अब भगवान ने बस अभी हमारी सुन ली.